Wednesday 2 October 2013

बच्चों के जीवन निर्माण मे माता पिता की भूमिका

बच्चों के जीवन निर्माण मे माता पिता की भूमिका

शैशव यौवन का जनक है , इसलिए बच्चों को सही शिक्षा सही समय पर  मिले इस बात का पूरा दारोमदार माता पिता पर होता है । वे ही अपने बच्चे के मार्ग दर्शक होते है । आज हमारे बच्चों को सुविधाएं सहजता से प्राप्त है जो हम सबके जमाने मे दुर्लभ था । मसलन मोबाइल , टी वी , कंप्यूटर और भी न जाने क्या क्या । बच्चों की रुचियाँ उसके परिवार, परिसर, और परंपराओं के अनुसार बनती है । इसलिए घर का वातावरण शुद्ध होना चाहिए ।
घर से सीखकर बच्चा समाज मे जाता है ,और वहाँ वही व्यवहार करता है जो उसने अपने घर पर देखा होता है और सीखा होता है , मसलन कोई माँ अपने पति से झूठ बोल कर बच्चे की गलतियों पर पर्दा डालती है तो वह अनजाने ही बच्चे के अंदर झूठ बोलने का बीज बो रही होती है , कोई बात वह पति छिपाती है तो बच्चे के मन मे भी यह बात बैठ जाती है कि जब माँ ही पिता जी से झूठ बोलती है तो मै तो अभी छोटा बच्चा हूँ । इसलिए बच्चे को सच्चाई के मार्ग पर रखने के लिए माता पिता को सच का सच्चाई का दामन थामे रखना होगा । ताकि उनके दिमाग मे सच बोलने प्रवृत्ति बैठ जाए ।
बच्चे के प्रति निष्ठावान रहें और उसको भी अपने प्रति निष्ठावान रहने की प्रेरणा दें ताकि वह समाज मे मजबूती से खड़ा रह सके उनमे आत्मविश्वास कि कमी न होने पाये ।
 कभी छोटे बच्चों न खिझाए नहीं तो उनमे खीझने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाएगी । बच्चों पर बात बात पर क्रोध न करें , उन पर  बिना वजह दोषारोपण न करें,  दूसरे बच्चों से उनकी बराबरी न करें अन्यथा उनमे हीन भावना उत्पन्न हो जाएगी । ऐसे बच्चे आक्रामक रुख अख़्तियार कर लेते है और समाज के लिए मुसीबत बन जाते है ।
बच्चों को गुमराह न करें , उन्हे सही समय पर सही शिक्षा दे कर उनके जिज्ञासा को शांत करना चाहिए ताकि उन्हे  अपने कोमल मन के उभरते हुये प्रश्नों का सही उत्तर मिल जाए और वे यहाँ वहाँ से अधकचरा ज्ञान न बटोरें ।
आपस मे भी अनर्गल प्रलाप से बचें जिसका सीधा असर बच्चे पर होता है । बच्चों से चीख चिल्ला कर न बोलें अन्यथा उनमे भी इसी तरह बात करने की प्रवृत्ति आती है ।
घर मे स्वयम का आचरण भी संयमित होन चाहिए जिससे बच्चों मे भी संयम से रहने की प्रेरणा मिलती रहे , मसलन आप टीवी देखने के शौकीन है और बच्चे का सोने का समय है तो आप उस समय टीवी बंद कर दें , बच्चे के पढ़ने के समय टीवी बंद रखे । इसी तरह अन्य बातों का भी ध्यान रखें ताकि बच्चे के कोमल मन पर गलत असर न होने पाये ।
याद रखिए बच्चे उस कोमल पौधे की तरह है जिसे सही देखभाल न मिलने पर वह सूख जाता है खराब हो जाता है । बच्चो को सही शिक्षा घर से मिले इस बात को ध्यान मे रखते हुए अपने आचरण भी संयमित रखना माता पिता का ही दायित्व है । अभी इतना ही फिर मिलूँगी नई जानकारी के साथ ।


6 comments:

  1. बहुत ही सार्थक लेखन

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  2. अदरणीय शास्त्री जी आपका आभार ।

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  3. बहुत सुन्दर आ० अन्नपूर्णा जी .. बधाई

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